प्रदेश में उमेश मिश्रा को सूबे का नया डीजीपी नियुक्त किया गया है. वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी उमेश मिश्रा डीजीपी एमएल लाठर के रिटायरमेंट के बाद 3 नवंबर को डीजीपी का कार्यभार ग्रहण करेंगे. इससे पहले उमेश मिश्रा डीजी इंटेलिजेंस का कार्यभार संभाल रहे थे. गुरुवार रात को प्रदेश के कार्मिक विभाग ने आदेश जारी कर उमेश मिश्रा की नियुक्ति की. 1 मई, 1964 को यूपी के कुशीनगर में जन्मे उमेश मिश्रा 1989 बैच के IPS अधिकारी हैं.
इंटेलिंजेंस विभाग के मुखिया थे मिश्रा
उमेश मिश्रा वर्तमान में इंटेलिजेंस डीजी के तौर पर सेवाएं दे रहे है. इंटेलिंजेंस विभाग के मुखिया होने के चलते मिश्रा की सरकार में भी अच्छी पकड़ रही है. इस विभाग को सरकार के लिए संकटमोचक बताया जाता है. जिसके चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी उमेश मिश्रा पर हमेशा से विश्वास बना रहा है. यही कारण माना जा सकता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर अपने चाहते को पद देने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी की है. इससे पहले पूर्व में आईएएस निरंजन आर्य को मुख्यसचिव बनाने के लिए सीएम गहलोत ने 10 वरिष्ठ आईएएस को अनदेखा किया था. और अब अपने सबसे करीबी उमेश मिश्रा को DGP बनाने के लिए सीएम गहलोत ने यूआर साहू और भूपेंद्र कुमार दक की वरिष्ठता को भी नजर अंदाज किया है.उमेश मिश्रा राजस्थान के चूरू, भरतपुर और पाली के जिला एसपी भी रह चुके हैं. उनकी गिनती तेज तर्रार व निडर आईपीएस के तौर पर होती है. उमेश मिश्रा राजस्थान पुलिस में सबसे पहले 1992 से 94 तक एएसपी रामगंज के पद पर सेवारत रहे. इसके बाद वे चूरू, भरतपुर, पाली, कोटा सिटी में जिला पुलिस अधीक्षक भी रहे. 1999 से 2005 तक मिश्रा असिस्टेंट डायरेक्टर आईबी दिल्ली में पदस्थ रहे.
पाकिस्तानी जासूसी का किया था भंड़ाफोड़
वहीं, 2005 से 2007 तक डीआईजी एसीबी रहे और साल 2007 में आईजी एटीएस के पद पर उनकी नियुक्ति हुई. इसके उपरांत साल 2009 में आईजी विजिलेंस के पद पर रहे और फिर दोबारा आईजी बनने के बाद वे एसीबी ज्वाइन किए. आगे 2011-12 में आईजी जोधपुर और 2014 में एडीजी एटीएस के बाद 2014-15 में एडीजी एसडीआरएफ के पद पर भी सेवा दिए. 2015-16 में मिश्रा को एडीजी सिविल राइट्स और 2016 से 19 तक एटीएस-एसओजी में एडीजी के पद पर कार्यभार संभाले.इधर, 2019 से अब तक निरंतर एडीजी-डीजी इंजेलिजेंस के पद पर सेवा दे रहे हैं. आईपीएस उमेश मिश्रा ने इंटेलिजेंस रहते हुए सेना में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले सैन्यकर्मियों का भंड़ाफोड़ किया था.पिछले कुछ सालों में ऐसे मामलों में धरपकड़ की संख्या बढती ही चली गई.
दक को दरकिनार कर इसलिए DGP बने उमेश मिश्रा
डीजीपी की नियुक्ति से पहले कई आईपीएस अधिकारियों के नामों को लेकर चर्चा हो रही थी. इसमे एक बड़ा नाम IPS भूपेंद्र कुमार दक का भी था. क्योंकि भूपेंद्र कुमार दक को मुख्यमंत्री के बेहद करीबी माने जाता हैं. लेकिन सीएम अशोक गहलोत के लिए कहा जाता है कि वह अपनी मदद करने वालों की वापस खुलकर मदद करते है. गहलोत सरकार को बचाने में एमएल लाठर और उमेश मिश्रा की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है. पिछले दो सालों में चले सियासी घटनाक्रम में इंटेलिजेंस के तौर पर उमेश मिश्रा की भूमिका काफी अहम भुमिका रही. सचिन पायलट गुट की ओर से की गई बगावत के वक्त बॉर्डर पर तत्काल नाकेबंदी जैसी खबरे देखने को मिली थी. जो कि पुलिस मुखिया के खुलकर होने वाले सहयोग से ही संभव है. इंटेलिजेंस के मामले में उमेश मिश्रा की पकड़ और सूत्र बहुत ही पुख्ता माने जाते हैं. ये ही वजह थी कि सरकार की ओर से डे-टू-डे फीडबैक लिया जा रहा था और खुफिया मामलों की जानकारी को लेकर IPS मिश्रा का सीएम गहलोत से सीधा संपर्क था.