संविधान के निर्माता बाबा साहब अंबेडकर की 130वीं जयंती, PM मोदी समेत कई नेताओं ने किया याद

14 भाइयों में सबसे छोटे अंबेडकर का जन्म आज ही के दिन इंदौर के पास छोटे से कस्बे महू में हुआ था. दलित परिवार में जन्म होने की वजह से उन्हें बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा. अंबेडकर को स्कूल में सबसे आखिरी पंक्ति में बैठना पड़ता था. पढ़ाई में बचपन से ही अच्छे अंबेडकर मुंबई के गवर्नमेंट हाईस्कूल के पहले दलित छात्र थे.
बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है, आज़ादी के बाद वह देश के पहले कानून एवं न्याय मंत्री बने थे. वर्ष 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया. 5 फरवरी 1951 को डॉ. अंबेडकर ने संसद में हिन्दू कोड बिल पेश किया. इसमें महिलाओं को पारिवारिक संपत्ति में अधिकार, तलाक का अधिकार, बहु विवाह पर रोक, विधवा विवाह को मान्यता जैसी बातों को हिन्दू कोड बिल में लाने की तैयारी थी. बिल संसद में पेश हुआ तो हंगामा शुरू हो गया. संसद में 3 दिन तक बहस चली.
विरोध करने वालों का तर्क था कि सिर्फ हिन्दुओं के लिए कानून क्यों लाया जा रहा है. इस कानून को सभी धर्मों पर लागू किया जाना चाहिए. बिल का विरोध बढ़ता जा रहा था. देशभर में बिल के विरोध में प्रदर्शन होने लगे. विरोध के चलते बिल उस समय पास नहीं हो सका. बाद में अंबेडकर ने हिंदू कोड बिल समेत अन्य मुद्दों को लेकर कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. देश के शोषितों और वंचितों की ये आवाज 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हमेशा के लिए शांत हो गई. 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए किया गया उनका संघर्ष हर पीढ़ी के लिए एक मिसाल बना रहेगा।
I bow to the great Dr. Babasaheb Ambedkar on #AmbedkarJayanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 14, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘भारत रत्न’ डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को उनकी जयंती पर शत-शत नमन. समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए किया गया उनका संघर्ष हर पीढ़ी के लिए एक मिसाल बना रहेगा.
आज डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर एक ओर सोश्ल मीडिया पर शुभकामनाओं की बाद आ गयी है, तो वही संविधान बनाने वाली की पूजा की जा रही है.
लेकिन बाबा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि तभी मिल पाएगी जब भारत जात- पात की गुलामी और अपराधों से मुक्त हो संविधान की इज्ज़त करेगा.
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