परम्पराओं को तोड़कर बेटी ने निभाया फर्ज, पिता की मौत के बाद बेटी के बांधी पगड़ी

चौमूं. बदलते वक्त में बेटियां बेटों से कम नहीं है. पीढ़ियों से चली आ रही पुरातन परंपराओं में भी बड़ा बदलाव आया है. समाज अब बेटियों को भी बेटों के बराबर समझने लगा है. ऐसा ही एक सामाजिक बदलाव राजधानी के चौमूं कस्बे में देखने को मिला. यहां एक पिता की मौत के बाद परिवार और समाज ने पुत्री के सिर पर पगड़ी बांधकर परिवार की जिम्मेदारी सौंपी.
चौमूं के वार्ड 21 इंदिरा कॉलोनी में हनुमान सहाय कुमावत का निधन हो गया था. हनुमान सहाय के पुत्र नहीं होने के चलते आज हुई पगड़ी की रस्म में बेटी मंजू देवी के पगड़ी बांधी गई. हनुमान सहाय कुमावत के पांच बेटियां हैं. जिनमें मंजू कुमावत के नाम पर समाज और परिजनों ने सहमति जताते हुए पगड़ी की रस्म अदा की. पांचों बेटियों ने कभी अपने पिता को पुत्र नहीं होने का अहसास नही होने दिया. परिवार व रिश्तेदारों की मौजूदगी में पगड़ी की रस्म निभाई गई.
पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभालने का दायित्त्व सौंपे जाने की रस्म के रूप में बांधी जाने वाली पगड़ी भी हनुमान सहाय कुमावत की बड़ी बेटी मंजू देवी के सिर पर बांधी गई. इस पहल की सभी लोगो ने सराहना की. मंजू देवी ने बताया कि उनके पिता अपनी पांचों बेटियों को बेटों के समान मानते थे. बेटों की तरह ही प्यार से रखते थे. बेटियों के प्रति समाज का नजरिया बदलने और रूढ़िवादी रीति-रिवाज में बदलाव के लिए यह नई परंपरा कायम की है. इस पहल से भविष्य में हर पिता को पुत्री होने पर शर्मिंदगी और वंश गति की चिंता नहीं, गर्व ही महसूस होगा।.
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