Chaturdarshi 2021: रूप चौदस पर तीर्थ नगरी पुष्कर में भारतीय रंग में रंगी विदेशी पर्यटक महिलाएं, किए सौलह श्रंगार

अजमेर.धार्मिक नगरी पुष्कर (Pushkar) में भी महिलाओ को सजते -संवरते देखकर सात समंदर पार से आई विदेशी बालायें भी अपने आपको रोक नहीं सकीं. आम राजस्थानी महिलाओं के अलावा कई विदेशी सैलानी भारतीय परिवेश और परम्परा अनुसार घुलते मिलते नजर आए. भारतीय संस्कृति में रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdarshi) का क्या महत्व है उसको भी बखूबी समझने का प्रयास किया.
मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन अत्याचारी नरकासुर राक्षस का वध कर उसके चगुल में बंदी बनाई गई 17 हजार 1 सौ रानियों को भगवान कृष्ण ने मुक्त कराया था. तब इन रानियों ने चंगुल से मुक्त होने के बाद सम्मान का अनुभव किया और जड़ी बूटियों से स्नान कर श्रृंगार किया था. तब से स्त्रियां विशेष श्रृंगार कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए व्रत भी रखती हैं. इसी कारण से रूप चतुर्दशी पर सजा का विशेष महत्व है.
इससे जुड़ी एक और मान्यता है. राजा रंतिदेव और यमदूत की कथा में वर्णित एक प्रसंग का जिक्र किया जाता है. जिसके अनुसार नर्क चतुर्दशी के दिन ब्रह्म भोज करवाने तथा दक्षिण दिशा में घर के बाहर दीया जलाने से नर्क गामी पापों से मुक्ति मिलती है.
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