Climate change: महासागरों का तापमान – 12 हजार सालों से लगातार बढ़ रहा है

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का असर दुनिया भर में लोगों को चिंता में डाल रहा है. हमारे वायुमंडल (Atmosphere) और उसकी कई प्रक्रियों में इस का कुप्रभाव नजर भी आने लगा है. लेकिन आम तौर पर लोग यहां तक कि विशेषज्ञ भी महासागरों (Oceans) को ग्लोबल वार्मिंग (global Warming) और जलावायु परिवर्तन के प्रभाव के दायरों में शामिल नहीं करते हैं. लेकिन एक ताजा अध्ययन महासागरों के जलवायु पर होने वाले प्रभाव को रेखांकित करता है. इस अध्ययन के मुताबिक पृथ्वी (Earth) के महासागर उसे पिछले 12 हजार सालों से गर्म (Warming) कर रहे हैं.
पहले ऐसे निष्कर्ष निकाले जाते रहे थे
इस अध्ययन का यहां तक कहना है कि इस लंबी प्रक्रिया का असर हमारी जलवायु पर स्पष्ट रूप पड़ भी रहा है. समुद्र के तापमान के पिछले एक लाख सालों के आंकलन परंपरागत तौर से संरक्षित चट्टाने के विश्लेषण के आधार पर किया जाते रहे हैं. इनसे यह निष्कर्ष निकला था कि महासागरों ने अपना उच्चतम तापमान 6 हजार साल पहले छुआ था और तब से वे ठंडे हो रहे हैं.
हवा में कुछ और ही हो रहा था
यह दुनिया की हवा कुछ और ही कहानी कहती है जहां तापमान लगातार बढ़ता ही जा रहा है जिसमें औद्योगिक क्रांति के युग ने एक तेजी ला दी थी. अमेरिका और चीन के शोधकर्ताओं ने समुद्री तापमान के बहुत से मॉडल का फिर से आंकलन किया और पाया कि जो नतीजे अब तक मिले हैं वे मौसमी तापमान में बदलाव को दर्शाते हैं ना कि वार्षिक औसत तापमान को.
सुधार किया तो यह पता चला
जब शोधकर्ताओं ने उन मॉडल की मौसमी विसंगतियों को दूर किया और पाया कि समुद्री तापमान का वास्तव में वैश्विक वायुमंडल के तापमान के साथ पिछले 12 हजार सालों में इजाफा होता रहा है. इस शोध की प्रमुख लेखिका और रटगर्ज के मैरीन एंड कोस्टल विभाग की समांथा बोवा का कहना है कि ये नतीजे इस बात पर जोर देते हैं कि ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ने से कैसे समुद्र का जलस्तर बढ़ने के साथ साथ होलोसीन नाम के भूगर्भीय युग में हवा का तापमान भी बढ़ाने में योगदान दिया.
यह संदेह पैदा हो गया था
बोवा का कहना है कि हाल ही में हुए शोध में सुझाए ठंडे होते वैश्विक तापमान और उत्तर होलोसीन युग में ग्रीन हाउस गैसों के कारण वायुमंडल के बढ़ते तापमान के बीच विसंगति ने संदेह पैदा कर दिया था कि क्या होलोसीन युग और संभवतः भविष्य में भी जलवायु परिवर्तन में ग्रीन हाउस गैसों की भूमिका थी भी या नहीं.
अब कोई शक नहीं बचा
शोधकर्ताओं की गणनाओं ने दिखाया कि कैसे औसत वार्षिक समुद्री तापमान छोटी होती बर्फ की चादरों की वजह से पिछले 12 हजार से 6.5 हजार सालों के बीच लगातार बढ़ता रहा. यह अध्ययन नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है. बोवा के अनुसार यह अध्ययन ग्लोबल वार्मिंग में कार्बन डाइऑक्साइड की भूमिका पर सभी संदेह दूर कर देता है.
यह होगा असर
नए संशोधित समुद्री तापमान के मॉडल सुझाते हैं कि महासागर उतने ही गर्म हैं जितने वे पिछले 1.25 लाख साल पहले हुआ करते थे. 17वीं सदी मध्य के बाद से औद्योगिक गतिविधियों के कारण महासागरों ने 90 प्रतिशत ज्यादा ऊष्मा अवशोषित की है. समुद्रों में बढ़ती गर्म कीवजह से समुद्र में रहने वाली प्रजातियों को एक बहुत ही बड़ा खतरा पहुंचाया है. बहुत से शोध बता रहे हैं कि कैसे समुद्री जीव इस बढ़ते तापमान में ढलने के लिए जूझ रहे हैं.
महासागरों का तापमान बढ़ने से उष्णकटिबंधीय तूफानों की तीव्रता बढ़ रही है. वहीं कई इलाकों में बाढ़ और सूखे जैसी प्रक्रियाओं में भी तीव्रता बढ़ सकती है. यह अध्ययन भी जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों के प्रति दुनिया के लिए एक और चेतावनी है.
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