कांग्रेस का चिंतन शिविर उदयपुर में शिविर में कांग्रेस तलाशेगी इन चुनौतियों का हल

जयपुर. कांग्रेस का नव संकल्प शिविर शुक्रवार से शुरू होगा. शिविर में 9 राज्यों के शेफ बुलाए गए हैं. मेहमानों को राजस्थान, पंजाब, यूपी, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और बंगाल की डिश परोसी जाएगी. इनमें लखनवी कबाब, लिट्टी-चोखा, ढोकला-थेपला, झींगा,आलू-पोश्तो सहित कई डिश प्रमुख है. जहां बैठक होनी है वो होटल-रिसोर्ट उदयपुर शहर की सीमा से बाहर है.
शिविर को लेकर AICC और PCC की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. कांग्रेस ने चिंतन शिविर का कार्यक्रम भी जारी कर दिया है. तीन दिन चलने वाले इस शिविर की शुरुआत दोपहर 12 बजे से होगी. शिविर में दो दिन मंथन करने के बाद तीसरे दिन कांग्रेस वर्किंग कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक होगी. इस बैठक में ही दो दिन की चर्चा के बाद नीतिगत निर्णय लिए जाएंगे.
कांग्रेस में सबसे बड़ी दिक्कत पार्टी के नेतृत्व को लेकर है. 2019 लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के पास कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है. ऐसे में कांग्रेस में एक ऐसे नेता की तलाश है, जो कांग्रेस को एक स्पष्ट और मजबूत नेतृत्व दे सके. इतना ही नहीं वो अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं में जान फूंक सके. आम लोगों के साथ-साथ सहयोगी क्षेत्रीय और सहयोगी दलों को भी भरोसा दिला सके कि कांग्रेस ही है, जो देश में बीजेपी से हर स्तर पर मुकाबला कर सकती है और मजबूत विकल्प भी बन सकती है.
कांग्रेस नेतृत्व को लेकर उहापोह के कारण अगस्त 2020 में कांग्रेस के कई असन्तुष्ट नेताओं (जी-23) ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बड़े बदलावों की मांग की थी. माना गया कि इस चिट्ठी का निशाना मूलरूप से राहुल गांधी थे. ऐसे में नेतृत्व को लेकर उठते सवालों का कांग्रेस को चिंतन शिविर में एक भरोसेमंद चेहरा तलाशना होगा, जो पीएम नरेंद्र मोदी से मुकाबला कर सके. कांग्रेस मजबूत नेतृत्व के अभाव में बीजेपी के खिलाफ मुद्दे तो उठाती है, लेकिन वो लोगों के मन में अपनी बातों को बैठा नहीं पाती है.
कांग्रेस उदयपुर चिंतन शिविर में पार्टी के संगठनात्मक सुधारों को एक निश्चित समयसीमा में कार्यान्वित करने का रोडमैप तय करना होगा. ऐसे में कांग्रेस जब तक कमजोर रहेगी, तब तक विपक्ष का गठबंधन मजबूत नहीं बनेगा, इसलिए उदयपुर का सबसे स्पष्ट सियासी संदेश यही होगा कि केवल मजबूत कांग्रेस ही ताकतवर विपक्षी विकल्प की गारंटी होगी. पार्टी चिंतन शिविर में एक बड़ा एजेंडा गठबंधन के लिए सहयोगियों को ढूंढना भी होगा. उत्तर भारत में कांग्रेस के हाथ से जिस तरह से बड़े राज्य निकल रहे हैं, उस पर भी मंथन होगा. देश में 180 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस शून्य है. सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार में तो कांग्रेस हाशिए पर है, जहां पर उसे बीजेपी से मुकाबला करने के लिए गठबंधन का रास्ता तलाशना होगा. ऐसे में चिंतिन शिविर में यह बात तय होगी कि कांग्रेस 2024 के चुनाव में एकला चलों की राह पर चलेगी या फिर गठबंधन का रास्ता अख्तियार करेगी.
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