Eid-e-Milad-un-nabi 2021: आज है ईद-ए-मिलाद का पर्व, जानिए क्यों मनाया जाता है ईद-ए-मिलाद-उन-नबी और क्या है इसका महत्व

जयपुर. मुस्लिम समुदाय के लिए आज का दिन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने की 12 तारीख को पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था. इस्लामिक मान्यता के अनुसार पैगंबर साहब का जन्म 517 ईस्वी में हुआ था. बताया जाता है कि सबसे पहले ईद-ए-मिलाद का त्योहार मिस्त्र में मनाया गया था. वहीं, 11 वीं शताब्दी के आने के साथ ही पूरी दुनिया में इसे मनाया जाने लगा.
बता दें कि शहर के झोटवाड़ा क्षेत्र में गुलामाने मुस्तफा सोसाइटी की तरफ से मुस्लिम समाज ने पुलिस पहर के बीच जुलूस निकाला.गुलाम-ए-मुस्तफा सोसाइटी के अध्यक्ष अब्दुल हमीद जोया ने बताया की एकता को बनाए रखने के लिए मुस्लिम पर्व मिलादुन्नबी का जुलूस शांतिपूर्ण निकाला गया.हालांकि, कोरोना की गाइड लाइन के अनुसार पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन की खुशी में शान-ए-जुलूस सिर्फ एक मस्जिद से दूसरी मस्जिद तक ही निकाला गया.इस जुलूस में लोग बड़ी संख्या में अलग-अलग जगहों से निकलते हुए एक जगह पर एकत्रित होते हैं. जिसमें लाखों लोग शामिल होते हैं. लेकिन कोविड-19 (कोरोना संक्रमण) की गाइड लाइन के कारण जुलूस में चंद लोग ही एकत्रित हो सकें

मक्का मस्जिद
इस दौरान कई जगह सामाजिक सौहार्द की झलक देखने को मिली.मुस्लिम समुदाय के लोग जुलूस में हाथों में तिरंगा लेकर निकले. मिलादुन्नबी के अवसर पर मुल्क के लिए दुआ मांगी. क्षेत्रवासियों ने पैदल जुलूस निकाल पैगंबर मोहम्मद की शान में कसीदे पढ़े.इस मौके पर मक्का मस्जिद इमाम मौलाना मोहम्मद अकबर अली भी मौजूद रहें.
वहीं स्पीकर सैयद सैफूदीन असदकी ने बताया की ईद मिलाद उन-नबी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. इस दिन रात भर प्राथनाएं होती हैं.और जगह-जगह जुलूस भी निकाले जाते हैं. घरों और मस्जिदों में आज कुरान पढ़ी जाती है. ईद मिलाद उन-नबी के मौके पर घर और मस्जिद को सजाया जाता है और मोहम्मद साहब के संदेशों को पढ़ा जाता है. हजरत मोहम्मद का एक ही संदेश था कि मानवता को मानने वाला ही महान होता है.
स्पीकर नूर आलम साहब के अनुसार इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने में ईद-मिलाद-उन-नबी का त्योहार दुनिया भर में मनाया जाता है.यह मुबारक दिन हमें शांति, भाईचारा और अमन का माहौल कायम करने का पैगाम देता है. पैगम्बर मोहम्मद साहब ने अपना पूरा जीवन गरीब और वंचित लोगों की भलाई के लिए समर्पित किया. उनके जीवन से हमें हक की राह पर चलने और जरूरतमंदों की मदद करने की प्रेरणा मिलती है.
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