‘मैं उसका मजहब नहीं बदलूंगा’- नसीरुद्दीन शाह ने रत्ना पाठक से शादी करने से पहले अपनी मां से कहा था

दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने ‘लव जिहाद (love jihad)’ के नाम पर देश में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पैदा हो रही फूट पर चिंता व्यक्त की है. कारवां-ए-मोहब्बत इंडिया के साथ हुई बातचीत में 70 वर्षीय अभिनेता नसीरुद्दीन ने कहा, ‘मुझे बहुत गुस्सा है इस बात पर, जिस तरह यूपी में ‘लव जिहाद’ के नाम पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बंटवारे की कोशिश की जा रही है.’
लव जिहाद को बताया तमाशा
नसीर ने कहा, ‘यूपी में लव जिहाद का जो ये तमाशा चल रहा है, एक तो इन लोगों को जिहाद शब्द का मतलब ही नहीं मालूम, जिन लोगों ने ये ईजाद किया है ये जुमला. और दूसरी बात ये कि मैं नहीं मानता कि कोई भी इतना बेवकूफ होगा कि उसको वाकई में लगे कि एक दिन मुसलमानों की तादाद हिंदुओं से बढ़ जाएगी इस मुल्क में. अरे भाई मुसलमानों को किस रफ्तार से बच्चे पैदा करने पड़ेंगे.. अपनी तादाद हिंदुओं से बढ़ाने के लिए.. ये कोई मजाक है तो है नहीं. मेरे खयाल से ये बात बिल्कुल ढकोसला है. इसमें कोई यकीन नहीं करता.’
सुनाई अपनी शादी की कहानी
उन्होंने आगे कहा, ‘ये लव जिहाद का जो तमाशा किया गया है, वो सिर्फ हिंदू और मुसलमानों के सोशल इंटरेक्शन को बंद करने के लिए ताकि आप शादी की तो बात सोचे ही नहीं. शादी तो बहुत दूर की बात है आपका आपस में मिलना-जुलना भी हम रोक देंगे… कोशिश ये है और चूंकि मेरी पत्नी हिंदू हैं, मैं मुसलमान हूं.. न मैं मजहबी हूं और न वो… और हमारे बच्चों को हर मजहब के बारे में बताया गया है. उन्हें ये नहीं बताया गया कि तुम इस मजहब के हो. अब ये कहीं पर विश्वास था मेरा कि ये फर्क जो हैं ये धीरे-धीरे मिट जाएंगे. मुझे यकीन था कि एक हिंदू औरत से शादी करना एक उदाहरण है. मैं इसे कुफ्र नहीं मानता. मेरी वालिदा ने भी मुझसे पूछा जब हमारी शादी होने वाली थी क्या तुम रत्ना से इमान लाओगे, मैंने कहा कि आप मजहब बदलने की बात कर रही हैं लेकिन मैं उसका मजहब नहीं बदलूंगा. तो उन्होंने कहा, हां सही है, मजहब कैसे बदला जा सकता है?’
नसीर ने आगे कहा, ‘अब मेरी अम्मी जो पढ़ी लिखी नहीं थीं.. एक बहुत ही रूढ़िवादी परिवार में उनकी शादी हुई थी. पांच वक्त की नमाजी थीं, जिंदगी भर उन्होंने पूरे रोजे रखे.. हज पर भी गयीं, लेकिन उन्होंने तक ये कहा कि जो बातें तुम्हें बचपन में सिखाई गई तुम उन्हें बदल कैसे सकते हो. मजहब बदलना बिल्कुल ठीक नहीं है.’
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