Rajasthan Congress Crisis : इस नए फॉर्मूले से निपटाया जाएगा गहलोत बनाम पायलट विवाद !

Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot Dispute: राजस्थान कांग्रेस का सियासी संकट का जल्द हल होने वाला है ? पार्टी सूत्रों का दावा है कि अक्टूबर माह में इसका समाधान निकल आयेगा. पार्टी अब और विवाद नहीं चाहती है. लिहाजा पुराने सभी पैटर्न को छोड़कर नये फॉर्मूले से इसका निपटारा किया जायेगा.
जयपुर. राजस्थान में गहलोत और पायलट (Gehlot Vs Pilot) के दो खेमों में बंटी कांग्रेस (Congress) की खींचतान को दूर करने के लिये नये फॉर्मूले (New Formula) पर विचार विमर्श चल रहा है. हालांकि अभी इस फॉर्मूले पर आलाकमान की मुहर लगनी बाकी है लेकिन इस पर मंथन जोरशोर से चल रहा है. पंजाब के सियासी संकट (Political Crisis) से उबरने के बाद अब कांग्रेस आलाकमान का पूरा फोकस राजस्थान पर है. बताया जा रहा है कि अक्टूबर माह राजस्थान में नया सियासी तूफान ला सकता है. यह बात दीगर है कि नये फॉर्मूले से खींचतान बढ़ेगी या घटेगी. लेकिन नये फॉर्मूले में मंत्रिमंडल में फेरबदल की बजाय पुर्नगठन से लेकर संगठन तथा सत्ता में बड़े स्तर पर बदलाव के साथ ही नियुक्तियों का दौर भी शुरू हो सकता है.
कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि इसके लिये अभी तक राजधानी दिल्ली में लॉबिंग और बैठकें चल रही हैं. आगामी माह में बदलावों को अमली जामा पहनाया जा सकता है. आलाकमान राजस्थान के सियासी संकट से पार पाने के लिये इस बार सभी मंत्रियों से इस्तीफे लेकर नए सिरे से मंत्रिमंडल बनाने पर गंभीरता से विचार विमर्श कर रहा है. हाल ही में बीजेपी ने गुजराज राज्य में इस फॉर्मूले को अपनाया है. कांग्रेस नेतृत्व इसके जरिये पार्टी और जनता में नया मैसेज देने की कोशिश कर सकता है.
यह माना जा रहा है बड़ा फायदा
इसका बड़ा फायदा यह माना जा रहा है कि इससे मंत्री पद से हटाये जाने वाले नेताओं को लॉबिंग का समय नहीं मिलेगा. इससे जहां विवाद कम होंगे वहीं नॉन परफॉर्मर को आसानी से किनारे कर दिया जायेगा. इसके अलावा तीसरा बड़ा फायदा यह होगा कि नये मंत्रिमंडल के जरिये आगामी विधानसभा चुनाव के लिये जातीय समीकरणों को भी साधा जा सकेगा. पार्टी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी अब मामूली नहीं बल्कि आमूलचूल बदलाव के मूड में है ताकि सरकार और पार्टी नये स्वरूप में जनता के सामने आये.
पार्टी नये बदलाव में किसी तरह का विवाद नहीं चाहती
यह पूरी कवायद इसलिये की जा रही है कि गहलोत खेमे को नाराज किये बगैर पायलट खेमे के विधायकों को एडजस्ट करना पार्टी के लिये टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. पार्टी नये बदलाव में किसी तरह का विवाद नहीं चाहती है लिहाजा यह कसरत की जा रही है. गत वर्ष पायलट खेमे की बगावत के बाद उनके समर्थक विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी कैबिनेट से हटा दिया गया था. अब इस लंबे सियासी संघर्ष के बाद पायलट चार से ज्यादा मंत्री पद मांग रहे बताये जा रहे हैं. वहीं खुद पायलट को भी पार्टी में बेहतर ओहदे के साथ फिर से स्थापित किया जाना है. इन सब मुद्दों को लेकर हाल ही में पायलट की राहुल गांधी से दो बार मिटिंग भी हो चुकी है.
यह है मंत्रिमंडल का पूरा गणित
राजस्थान में गहलोत सरकार में अभी मुख्यमंत्री समेत 21 मंत्री हैं. तय मानकों के अनुसार कुल विधायकों में से 15 फीसदी को मंत्री बनाया जा सकता है. राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं. इस लिहाज से मंत्रिमंडल में सीएम को मिलाकर 30 मंत्री हो सकते हैं. अभी नौ पद खाली हैं. बताया यह भी जा रहा है कि सीएम गहलोत अक्टूबर के पहले सप्ताह में कभी भी दिल्ली का दौरा कर सकते हैं. गहलोत की हाईकमान से मुलाकात के बाद नये फॉर्मूले को हरी झंडी दी सकती है.
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