रेडियों में नौकरियों के अवसर और चुनौतियों पर हुई चर्चा

जयपुर: रेडियों ने शुरूआती दिनों से ही मनोरंजन व सूचना के क्षेत्र में क्रांति का काम किया है। रेडियों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि स्वर्णिम रही है। शुक्रवार को आकाशवाणी जयपुर की पूर्व कार्यक्रम प्रमुख व वरिष्ठ कार्यक्रम कार्यपालक रेशमा खान ने ऑल इंडिया रेडियों की कार्यप्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी दी। रेशमा जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग की ओर से आयोजित वेबीनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रही थी। वे ‘ऑल इंडिया रेडियों: अवसर, कार्यप्रणाली और कार्य संस्कृति’ विषय पर अपने विचार साझा कर रही थी। खान ने बताया कि रेडियों से न सिर्फ कम्यूनिकेशन स्किल को सुधारा जा सकता है, बल्कि सही उच्चारण से लोगों को कई नौकरियों में भी आसानी हुई है। उन्होंने कहा कि रेडियों में नौकरी करने की चाह रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए आकाशवाणी बेहतरीन जरिया है। इसके साथ ही टेलीविजन में काम करने के लिए भी शब्दों के सही उच्चारण को सीखने की शुरूआत यहीं से होती है। वेबीनार के आयोजक व विभाग के सहायक आचार्य सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि वर्तमान समय डिजिटल युग का है, ऐसे में रेडियों ने भी खुद को बदला है और श्रोताओं के हिसाब से कार्यक्रम डिजाइन होने लगे है। विभागाध्यक्ष शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि विभाग में पिछले एक साल से वेबीनार सीरीज चल रही है, जिसके तहत हर हफ्ते एक इंडस्ट्री एक्सपर्ट का लेक्चर आयोजित किया जाता है। वेबीनार में दूरदर्शन के सीनियर प्रोड्यूसर वीरेन्द्र परिहार, कार्यक्रम एंकर दीपा सिंह, विभिन्न संस्थानों के मीड़िया शोधार्थी और मीडिया स्टूडेंट्स उपस्थित रहे।
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