शबनम को फांसी हुई तो जेल में जन्मे उसके इकलौते बच्चे का क्या होगा?

उत्तर प्रदेश स्थित अमरोहा के गांव में 7 लोगों की हत्या की दोषी शबनम की फांसी की तैयारियां मथुरा जेल (Mathura Jail) में ज़ोरों पर हैं, तो इसी बीच उसके कमउम्र बेटे ने एक बार फिर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) से दया की गुहार लगाकर अपनी मां को बख्शे जाने की अर्ज़ी लगाई है. साल 2008 के इस नृशंस हत्याकांड (Cruel Murder Case) में शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने परिवार के सदस्यों का गला ही कुल्हाड़ी से काट डाला था. हत्याकांड के फौरन बाद जेल भेजी गई शबनम ने दिसंबर 2008 में जेल में ही बेटे को जन्म दिया था, जिसका नाम ताज रखा गया था.
खबरों की मानें तो आज़ाद भारत में शबनम पहली महिला होगी, जिसे फांसी दी जाएगी. इस बारे में कई तरह की चर्चाओं के बीच एक सवाल यह खड़ा होता है कि शबनम के 12 साल के बेटे का क्या होगा? उसकी परवरिश और पढ़ाई लिखाई कैसे होगी? बचपन के कई साल मां शबनम के साथ जेल में रहने वाला ताज अब कहां है और भविष्य में कहां होगा?
शबनम के बेटे का क्या हुआ?
2008 से ही जेल में बंद शबनम और सलीम को 2010 में अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई थी. इसके बाद आगे की अदालतों में सुनवाई चलती रही और शबनम जेल में ही रही. लेकिन 2015 में उसके बेटे ताज को जेल से रिहाई मिली थी, जब कॉलेज में शबनम के साथी रहे उस्मान सैफी ने ताज की परवरिश की ज़िम्मेदारी ली और उसे अपने साथ ले गए.
अस्ल में, उस साल अमरोहा की बाल कल्याण समिति ने एक विज्ञापन जारी कर कहा था कि जेल मैन्युअल के हिसाब से कैदी मांएं अपने बच्चे को 6 साल की उम्र के बाद साथ नहीं रख सकतीं इसलिए ताज को गोद लेने के लिए अभिभावकों की तलाश है. इस अपील पर कॉलेज में शबनम से दो साल जूनियर रहे सैफी सामने आए थे.
सैफी ने बताया था कि कॉलेज के दिनों वह पैसे, स्वास्थ्य और पढ़ाई के मामले में कमजोर थे और तब शबनम ने उनकी मदद की थी. कॉलेज फीस भी भरी थी, इतना ही नहीं वह कॉलेज में हमेशा उनके साथ खड़ी रहती थी. सैफी ने शबनम को अपनी बड़ी बहन जैसा दर्जा देकर कहा था कि पढ़ाई के बाद दोनों का लिंक टूट गया था और बाद में हत्याकांड की खबर सुनकर वो काफी दुखी हुए थे.
बुलंदशहर में पेशे से पत्रकार सैफी ने बताया था कि उन्होंने अपनी पत्नी समेत शबनम से जेल में मुलाकात की थी और शबनम ने अपने बच्चे ताज को सौंपते हुए दो गुज़ारिशें की थीं. पहली तो यह कि ताज को कभी शबनम के पैतृक गांव न ले जाया जाए और दूसरी ये कि उसका नाम बदलकर उसकी परवरिश की जाए.
अब जबकि शबनम की फांसी नज़दीक है, तो उसके इकलौते बेटे ने मां के जुर्म को बख्शे जाने की अर्ज़ी राष्ट्रपति को भेजी है. ताज के अभिभावक बने सैफी ने भी राष्ट्रपति से गुहार की है कि ताज के सिर से उसकी मां का साया न छीना जाए.
क्या होगा ताज का भविष्य?
सैफी के साथ बुलंदशहर के सुशांत विहार इलाके में रह रहा ताज फिलहाल शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ाई कर रहा है. सैफी के मुताबिक खबरों में कहा गया है कि ताज की पढ़ाई की व्यवस्था और परवरिश पूरी ज़िम्मेदारी और केयर के साथ की जा रही है. सैफी का यह भी कहना है कि शबनम अपनी अच्छी खासी प्रॉपर्टी अगर स्कूल, कॉलेज, अस्पताल जैसे कामों के लिए दान करके जाए तो बेहतर होगा.
फिलहाल, एक पहलू तो यह है कि अगर शबनम कोई कागज़ी कार्रवाई नहीं करती है तो उसकी पुश्तैनी प्रॉपर्टी उसके बेटे को भविष्य में मिल सकती है और अगर शबनम कोई वसीयत या चैरिटी के लिए घोषणापत्र छोड़ कर जाती है तो ताज का भविष्य सैफी पर ही निर्भर होगा. यह भी गौरतलब है कि ताज की परवरिश को लेकर नियमानुसार ज़िला बाल कल्याण कमेटी समय समय पर निगरानी रखती है.
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