राम मंदिर में राम लला (Ram Lala) के प्राण प्रतिष्ठा का समारोह सोमवार, 22 जनवरी को होने वाला है लेकिन अयोध्या में कार्यक्रम की शुरुआत मंगलवार, 16 जनवरी से शुरू हो रही है. इसकी पूरी जानकारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दी है. चलिए आपको एक-एक कर बताते हैं क्या है 16 जवनरी से लेकर 22 जनवरी तक का शेड्यूल? 22 जनवरी के खास दिन क्या-कुछ होगा? किस-किस संप्रदाय और समूह के लोग प्राण-प्रतिष्ठा में आने वाले हैं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुसार, रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त – पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080 को है यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024. इसके अनुसार, प्राण प्रतिष्ठा से पहले शुभ संस्कारों की शुरूआत 16 जनवरी से होगी जो 21 जनवरी तक चलेगी.
16 जनवरी से 21 जनवरी का शेड्यूल
16 जनवरी: प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन
17 जनवरी: मूर्ति का परिसर में प्रवेश
18 जनवरी (सुबह): तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास
19 जनवरी (सुबह): औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास
19 जनवरी (शाम): धान्याधिवास
20 जनवरी (सुबह): शर्कराधिवास, फलाधिवास
20 जनवरी (शाम): पुष्पाधिवास
21 जनवरी (सुबह): मध्याधिवास
21 जनवरी (शाम): शय्याधिवास
22 जनवरी का क्या है कार्यक्रम?
22 जनवरी को सबसे पहले प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा. प्राण-प्रतिष्ठा पीएम नरेंद्र मोदी जी, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य बड़े नामों की उपस्थिति में होगी.प्राण प्रतिष्ठा खत्म होने के बाद, सभी को दर्शन कराया जाएगा. समारोह के पहले कई राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध आदी के साथ आ रहे हैं. कुछ उपहार नेपाल और सीतामढ़ी (बिहार) से अयोध्या लाए गए हैं. रायपुर से भी कई प्रकार के आभूषणों को उपहार के रूप में भेजा गया है.
150 से अधिक परंपराओं के प्रमुख करेंगे शिरकत
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुसार, 22 जनवरी के कार्यक्रम में भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी. वहीं शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव आदी कई सम्मानित परंपराएं इसमें भाग लेंगी.