Election Promises: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के समय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने राजनीतिक दलों की फ्रीबीज योजनाओं पर तंज कसते हुए कहा था कि “राजनीतिक पार्टियां अपने अपने घोषणा पत्र में क्या फ्री में देगी यह कहने का अधिकार उन्हें है, लेकिन इसके साथ ही वोटरों को यह जानने का भी अधिकार है कि किसी घोषणा को कब, कैसे और कितना लागू करेंगे?”
इसके साथ ही चुनाव आयोग ने एक प्रोफार्मा (प्रारूप) राजनीति दलों के लिए जारी किया है, जिसमें राजनीतिक पार्टियों को बताना होगा कि उनकी कोई भी मुफ्त वाली घोषणा के लिए ‘डेब्ट टू जीडीपी रेश्यो’ क्या होगा? आप कितना लोन लोगे? कुल राजस्व प्राप्ति से ब्याज कितना अदा होगा? चुनाव आयोग ने यह भी पूछा कि फिस्कल रिस्पांन्सिब्लिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) के टारगेट तोड़ोगे या नहीं? क्या किसी योजना को बंद कर नई योजनाएं लागू करेंगे या लोगों पर अतिरिक्त कर लगाएंगे?
प्रधानमंत्री मोदी लगातार राज्य सरकारों की फ्रीबीज घोषणाओं को ‘रेवडी’ संस्कृति’ बताकर या राजकोषीय फिजूलखर्ची कहकर निंदा करते रहे हैं। वो मतदाताओं को इससे दूर रहने की नसीहत भी देते हैं। लेकिन सच्चाई तो यही है कि केन्द्र की मोदी सरकार ने भी रेवड़ियां बांटने में कोई कमी नहीं रखी है। मोदी सरकार भी अपनी वेलफेयर स्कीम के दम पर लाभार्थियों को एक वोटबैंक के रूप में टार्गेट करती है। सभी राज्य सरकारें विधानसभा चुनाव जीतने के लिए तमाम फ्रीबीज योजनाओं को आगे कर ‘लाभार्थी’ का एक बड़ा वोट बैंक तैयार करने में जुटी हैं जिससे चुनाव में उसकी फसल काटी जा सके।
मध्य प्रदेश की बात करें तो शिवराज सरकार की 10 बड़ी योजनाओं पर ही 23 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च होगी। खासकर लाड़ली बहना योजना, जिस पर 1 करोड़ 31 लाख लाभार्थियों को प्रतिमाह 1250 रूपये देने के हिसाब से सालाना 19 हजार करोड़ रूपये खर्च होंगे। शिवराज सरकार का वादा है कि सत्ता में आने पर इसे 3000 रूपये तक कर देंगे। कमलनाथ ने भी सत्ता में आने पर नारी सम्मान योजना के तहत 1500 रूपये हर महिला के खाते में डालने का वादा किया है। अभी कांग्रेस और भाजपा का घोषणा पत्र नहीं आया है। ऐसे में तय है कि दोनों दलों के घोषणा पत्र में रेवड़ी जमकर बंटेगी। शिवराज सरकार ने 3 साल में कुल 2715 घोषणाएं की है। इसमें से 592 घोषणाएं चुनावी साल में हुई है।
चुनाव से छह महीने पहले शिवराज सरकार ने 4 बड़ी योजनाओं की घोषणा की थी। इसमें लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत 1 करोड 31 लाख महिलाओं के खाते में 1250 रूपये डाले जायेंगे। कुल खर्चा 19650 करोड़ रूपये। किसान सम्मान निधि योजना जिसमें प्रदेश के 87 लाख किसानों को मिलने वाली सम्मान निधि 4 हजार से बढ़ाकर 6 हजार करने की घोषणा। कुल खर्चा 1750 करोड़ का। मेधावी छात्रों को लैपटॉप बांटना जिसके अंतर्गत 12 वीं कक्षा के 78,641 मेधावी छात्रों के खाते में 25 हजार रूपये डालना। कुल खर्च 196 करोड़ रूपये। इसके अलावा प्रदेश के 7,800 छात्रों को स्कूटी बांटने के लिए 90 हजार करोड़ रूपये का बजट देना भी शामिल है। राजस्थान में भी अशोक गहलोत सरकार ने सत्ता में वापसी के लिए फ्रीबीज को अपना सबसे प्रमुख हथियार बनाया है। गहलोत ने राजस्थान में ईडी के प्रवेश के साथ ही सात गारंटियों की घोषणा की है। इन सात गारंटी को देखें तो, पहली गारंटी है गृह लक्ष्मी गारंटी, जिसमें परिवार की महिला मुखिया को हर साल 10 हजार रुपए मिलेंगे। दूसरी गारंटी है गौ-धन गारंटी। इसमें 2 रुपए प्रति किलो के हिसाब से गोबर खरीदा जाएगा। तीसरी गारंटी है फ्री लैपटॉप-टैबलेट गारंटी, इसमें सरकारी कॉलेज में पढ़ रहे विद्यार्थियों को पहले वर्ष में लैपटॉप या टैबलेट मुफ्त दिए जाएंगे। चौथी गारंटी है चिरंजीवी आपदा राहत गारंटी बीमा, इसमें प्राकृतिक आपदा आने पर 15 लाख रुपए तक का फ्री बीमा है। पांचवीं गारंटी है, अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा फ्री गारंटी। इसमें हर विद्यार्थी के लिए अंग्रेजी शिक्षा की गारंटी है। छठी गारंटी है राजस्थान के एक करोड़ से ज्यादा परिवारों के लिए 500 रुपए में सिलेंडर। सातवीं गारंटी है, OPS गारंटी। सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन वाला कानून लाया जाएगा।
अशोक गहलोत ने पहली गारंटी कर्नाटक कांग्रेस सरकार से रिपीट की है। दूसरी गारंटी छत्तीसगढ़ से लेकर रिपीट की है। लैपटॉप वाली गारंटी वसुंधरा राजे की सरकार से ली गई है। चौथी गारंटी में मोडिफिकेशन है। प्राकृतिक आपदा में अभी तक मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता दी जाती थी। इसमें चिरंजीवी योजना को जोड़ करके उसका क्षेत्र बढ़ाया गया है। पांचवी गारंटी में अंग्रेजी स्कूल है, अभी भी चल रहे हैं। उसको थोड़ा री-पैकेज कर दिया गया है कि सभी के लिए सरकारी स्कूल में अंग्रेजी शिक्षा। गैस सिलेंडर का वादा मुख्यमंत्री पहले भी कर चुके हैं। राजस्थान में अभी भी यह स्कीम चालू है। इसके साथ ही ओपीएस का वादा तो वह बहुत पहले ही कर चुके हैं। इसके अलावा अशोक गहलोत सरकार राज्य की 1.33 करोड महिलाओं को मोबाइल बांटने के लिए इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना लेकर भी आई है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने किसानो की कर्जमाफी, बिजली बिल हाफ, 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी पर अतिरिक्त मूल्य, 17.50 लाख गरीबों को मकान देने, केजी से पीजी तक सरकारी स्कूलों मे मुफत शिक्षा जैसी अनेक घोषणाएं शामिल है।