राजस्थान सूबे में एक तरफ सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस (Congress) में सीएम की कुर्सी के लिए खींचतान चल रही है. वहीं कांग्रेस के सरदारशहर विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद वहां पर उपचुनाव (Sardarshahar Assembly seat by-election) होना तय हो गया है. आने वाले दिनों में होने वाले इस उपचुनाव को गहलोत सरकार की अग्नि परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है. इस उपचुनाव में गहलोत सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाकर वोट बटोरने की जुगत करेगी वहीं बीजेपी (BJP) सत्ताधारी पार्टी को प्रदेश के मुद्दों और उसकी अंदरुनी कलह पर घेरने की कोशिश करेगी. इसमें बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की साख दांव पर रहने वाली है. राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले इस उपचुनाव को बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ‘अग्नि परीक्षा’ के रूप से देखा जा रहा है.राजस्थान की मौजूदा 15वीं विधानसभा चुनाव के दौरान 200 सीटों के बजाय 199 पर ही दिसंबर 2018 में मतदान हुआ था. अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे बसपा प्रत्याशी का मतदान से पहले निधन हो गया था. इसके बाद उस सीट पर चुनाव स्थगित हो गए थे. गहलोत सरकार के गठन के बाद इस सीट पर चुनाव होने पर कांग्रेस की साफिया जुबैर ने वहां से जीत हासिल की थी. इसके साथ ही कांग्रेस की 100 सीट हो गई थी. लेकिन उसे उपचुनाव नहीं माना गया था.उसके बाद 2019 में हुए लोकसभा के चुनाव में दो विधायकों के सांसद बन जाने से दो सीटें खाली हो गईं थी. इनमें झुंझुनूं के मंडावा से बीजेपी विधायक नरेंद्र कुमार और खींवसर के आरएलपी विधायक हनुमान रहे बेनीवाल लोकसभा का चुनाव लड़कर सांसद बन गए थे. उसके कारण अक्टूबर 2019 में पहला उपचुनाव हुआ. इसमें मंडावा सीट कांग्रेस ने बीजेपी से छीन ली थी. वहां कांग्रेस की रीटा चौधरी ने चुनाव जीता. वहीं खींवसर से हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल उपचुनाव जीते.
अप्रेल 2021 में हुआ दूसरा उपचुनाव
उसके बाद भीलवाड़ा के सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाशचंद्र त्रिवेदी, चूरू के सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक एवं गहलोत सरकार के मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल और राजसमंद से बीजेपी विधायक किरण माहेश्वरी का बीमारी से निधन हो जाने के कारण ये तीनों सीटें खाली हो गईं थी. इन तीनों सीटों के लिए अप्रेल 2021 में उपचुनाव हुए. इसमें दो सीटों पर वापस कांग्रेस और एक सीट पर फिर से बीजेपी ने कब्जा जमा लिया था.