राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत देश की सबसे प्राचीन, लोकतांत्रिक व गांधीवादी विचारों को समर्पित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर चुने जाने के सबसे प्रबल दावेदार हैं। कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों ही अब पार्टी के अध्यक्ष नहीं बनना चाहते।
1. कांग्रेस के चुनावों के बाद राजस्थान कांग्रेस में जो सीन होंगे उसमें पहला यह कि गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष चुनें जाकर दिल्ली में पार्टी का काम देखें तथा पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालें। लेकिन गहलोत, सी पी जोशी, लालचंद कटारिया, हरीश चौधरी, क्या इसके लिए तैयार होंगे।
2. गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बन जाएं और 2 डिप्टी सीएम के जरिए सीएम का पद भी संभालते रहें। जैसे गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी 2013 में भाजपा की चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख बन गये और बाद में प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी। ऐसा होने पर कांग्रेस में बगावत व नेताओं में नाराजगी बढ सकती है। हालांकि कांग्रेस में राजस्थान की जो चवन्नी आज चल रही है वह बाद में भी चलती रहेगी। लेकिन तब तक ही जब तक कांग्रेस राजस्थान में सत्ता में है।
3. कांग्रेस के चुनाव के बाद एक स्थिति यह भी हो सकती है कि थरूर अध्यक्ष चुन लिए जाएं और गहलोत राजस्थान सरकार व गुजरात विधानसभा चुनाव की पूरी जिम्मेदारी निभाएं। लेकिन थरूर की जीत पर थोडा संशय है , उनका कमजोर पहलू उनका जी-23 समूह से होना है जिसके समर्थन में शेष कांग्रेस नेता शायद ही वोट करें। भाजपा ने सतीष पूनिया को अध्यक्ष बनाकर जाट समुदाय से सीएम बनने की एक उम्मीद तो लगा दी लेकिन कांग्रेस अगर गोविंद डोटासरा, हरीश ,, लालचंद कटारिया में से किसी को सीएम बना देती है तो जाट समुदाय को भाजपा के पाले से कांग्रेस में लाया जा सकता है।
वैसे भी गुर्जर समुदाय का एकमुश्त वोट कांग्रेस को नहीं मिलेगा।पार्टी का एक असंतुष्ट धडा जो लंबे समय से पार्टी में बदलाव की मांग करता आ रहा है उसकी ओर से शशि थरूर भी अध्यक्ष पद के दावेदार होंगे लेकिन गहलोत के मुकाबले उनका पलडा कमजोर नजर आता है। तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बन चुके गहलोत हालिया कांग्रेस में सबसे कद्दावर, अनुभवी व प्रभावशाली नेता हैं। हाल ही राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस के तीन नेताओं को राज्यसभा भेजकर उनहोंने राजस्थान की राजनीति व कांग्रेस में अपनी पकड को साबित कर दिया था जबकि भाजपा ने एक अतिरिक्त उम्मीदवार के रूप में मीडिया मुगल सुभाष चंद्रा को हरियाणा से लाकर राजस्थान में उतार दिया था। अपने चैनल के एक एंकर कीबातों में आकर चंद्रा राजस्थान में अपनी फजीहत कराकर लौट गये लेकिन राजस्थान की राजनीति में बाहरी नेताओं को दखल लगातार रहा है। गहलोत के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की दौड में सबसे आगे पूर्व केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट हैं।